Month: फरवरी 2021

कभी भी अकेला नहीं

“द इकोनॉमिस्ट 1843 की पत्रिका में मैगी फर्ग्यूसन ने लिखा, “यह कोई पीड़ा हो सकती है जो आवासहीनता, भूख या बीमारी से अधिक कष्टदायक हो सकता है l उनका विषय है? अकेलापन l फर्ग्यूसन ने किसी भी सामाजिक या आर्थिक स्थिति की परवाह किए बिना, दिल दहलाने वाले उदाहरणों का उपयोग करते हुए कि अकेला होना कैसा महसूस होता है अकेलेपन की बढ़ती गति को लेखबद्ध किया l
अकेला महसूस करने का दुख हमारे दिन के लिए नया नहीं है l वास्तव में, अकेलापन की पीड़ा सभोपदेशक की प्राचीन किताब के पन्नों से गूँजती है l अक्सर राजा सुलैमान के नाम, पुस्तक उन लोगों के दुखों का वर्णन करता है जो किसी भी सार्थक रिश्तों की कमी महसूस करते हैं (4:7–8) l उपदेशक ने कहा कि उल्लेखनीय धन प्राप्त करना संभव है और फिर भी उससे कोई उपयोगिता अनुभव नहीं करना क्योंकि इसे साझा करने वाला कोई नहीं है l
लेकिन उपदेशक ने साहचर्य की सुंदरता को भी पहचान लिया, यह लिखते हुए कि जितना आप अकेले दम पर हासिल करेंगे, मित्र आपको उससे अधिक करने में मदद करेंगे (पद.9); सहयोगी जरूरत के समय मदद करते हैं (पद.10); साथी आराम लाते हैं (पद.121); और मित्र कठिन परिस्थितियों में सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं (पद.12) l
अकेलापन ख़ासा एक संघर्ष है – परमेश्वर ने हमें दोस्ती और समुदाय के लाभों की पेशकश करने और प्राप्त करने के लिए बनाया है l यदि आप अकेला महसूस कर रहे हैं, तो प्रार्थना करें कि परमेश्वर आपको दूसरों के साथ सार्थक संबंध बनाने में मदद करे l इस बीच, इस वास्तविकता में प्रोत्साहन पाएं कि विश्वासी कभी भी वास्तव में अकेला नहीं होता है क्योंकि यीशु की आत्मा हमेशा हमारे साथ है (मत्ती 28:20) l

बत्ती जला दें

जब हमदोनों पति-पत्नी ने अपने बेटों से मिलने के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान तक(cross-country move), जाने की तयारी की तो मैं यह सुनिश्चित करना चाहती थी कि हम अपने व्यस्क बेटों के साथ संपर्क बनाए रखेंगे l मैंने अनूठा उपहार ढूंढ़ लिया, वायरलेस इंटरनेट से जुड़ा मित्रता लैंप, जो रिमोट से जलाया जा सकता है l जब मैंने अपने बेटों को लैंप दिये, तो मैंने समझाया कि जब मैं अपने लैंप को स्पर्श करुँगी, तो उनके चालू हो जाएंगे - अपने प्यार और निरंतर प्रार्थनाओं की एक दीप्त याद दिलाने के लिए l कोई फर्क नहीं पड़ता कि हमारे बीच कितनी बड़ी दूरी है, उनके लैंप पर एक थपथपाहट हमारे घर में भी रोशनी को सक्रीय करेगी l हालाँकि हमें पता था कि हमारी मुलाकात के व्यक्तिगत क्षणों को कुछ भी प्रतिस्थापित नहीं कर सकते थे, फिर भी हर बार जब हम उन लैम्प्स को जलाते हैं हम यह जानकार प्रोत्साहित होते हैं कि हमें प्यार किया जाता है और हमारे लिए प्रार्थना की जाती है l
परमेश्वर के सभी बच्चों को पवित्र आत्मा द्वारा उज्वल प्रकाश को साझा करनेवाला बनने का सुअवसर है l हमें परमेश्वर की अनंत आशा और शर्तहीन प्रेम का कान्तिमान प्रकाशस्तंभ के रूप में जीने के लिए अभिकल्पित किया गया है l जब हम सुसमाचार साझा कर रहे हैं और यीशु के नाम में दूसरों की सेवा कर रहे हैं, तो हम शानदार प्रकाश बिंदु और जीवित साक्षी बन जाते हैं l हर एक अच्छा काम, दयालु मुस्कान, प्रोत्साहन के कोमल शब्द, और हार्दिक प्रार्थना परमेश्वर की ईमानदारी और उसके शर्तहीन और जीवन को बदलने वाला प्यार की एक उज्जवलित याद दिलाती है (मत्ती 5:14-16) ।
जहाँ भी परमेश्वर हमारी अगुवाई करता है, और जिस भी प्रकार से हम उसकी सेवा करते हैं, हम उसके द्वारा दूसरों को उसकी ज्योति चमकाने में मदद करने के लिए उपयोग किये जा सकते हैं l जब परमेश्वर, अपनी आत्मा द्वारा, सच्ची रौशनी प्रदान करता है, हम उसकी ज्योति और उसकी उपस्थिति का प्रेम प्रतिबिंबित कर सकते हैं l

यीशु के समान

एक लड़के के रूप में, धर्मशास्त्री ब्रूस वेयर निराश थे कि 1 पतरस 2:21–23 हमें यीशु की तरह बनने के लिए कहता है l वेयर ने अपनी पुस्तक द मैन क्राइस्ट जीसस(The Man Christ Jesus) में अपनी युवावस्था के बारे में लिखा l "उचित नहीं, मैंने निर्धारित किया l खासतौर पर तब जब परिच्छेद ‘ऐसे व्यक्ति के क़दमों का अनुसरण करने के लिए कहता है ‘जिसने पाप नहीं किया l’ यह पूरी तरह से विचित्र था . . . मैं बिलकुल यह नहीं देख पा रहा था कि कैसे परमेश्वर वास्तव में चाहता है कि हम इसे गंभीरता से लें l”
मैं समझता हूँ कि वेयर को बाइबिल की चुनौती इतना हतोत्साहित करनेवाला क्यों महसूस हो सकता था! एक पुराना वृन्द्गीत/कोरस कहता है, “यीशु की तरह बनना, यीशु की तरह बनना l मेरी इच्छा, उसके जैसा बनना l” लेकिन जैसा कि वेयर ने ध्यान दिया कि हम ऐसा करने में असमर्थ हैं l अपने आप से, हम यीशु की तरह कभी नहीं बन सकते हैं l
हालाँकि, हम अकेले नहीं हैं l परमेश्वर की संतान को पवित्र आत्मा दिया गया है, कुछ हद तक ताकि हम में मसीह का रूप बन जाए (गलतियों 4:19) l इसलिए यह आश्चर्य की बात महसूस न हो कि पौलुस के पवित्र आत्मा सम्बंधित महान अध्याय में हम पढ़ते हैं, “जिन्हें उसने पहले से जान लिया है उन्हें पहले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्वरूप में हों” (रोमियों 8:29) l परमेश्वर हममें अपने कार्य को पूरा करेगा l और वह इसे हममें यीशु की आत्मा के द्वारा करता है l
जब हम अपने जीवनों में आत्मा के कार्य के प्रति समर्पण करते हैं, हम वास्तव में और अधिक यीशु की तरह बन जाते हैं l यह जानना कितना सान्तवना देनेवाला है कि हमारे लिए परमेश्वर की इच्छा कितनी बड़ी है!

अकल्पनीय वादे

हमारी सबसे बड़ी असफलता के क्षणों में, यह विश्वास करना आसान हो सकता है कि हमारे लिए बहुत देर हो चुकी है, कि हमने उद्देश्य और मूल्य के जीवन में अपना मौका खो दिया है l इसी तरह अधिकतम-सुरक्षा जेल में एक पूर्व कैदी एलियास ने कैदी के रूप में अपनी भावनाओं का वर्णन किया l “मेरे पास टूटे वादे थे, मेरे अपने भविष्य के वादे, मैं क्या हो सकता था का वादा l”
यह एक कॉलेज का “जेल में प्रचार करने की पहल(Prison Initiative” कॉलेज की डिग्री प्रोग्राम था जिसने एलियास के जीवन को बदलना शुरू किया l कार्यक्रम में रहते हुए, उसने एक वाद-विवाद टीम में भाग लिया, जिसने 2015 में हार्वर्ड की एक टीम से वाद-विवाद किया और जीत हासिल की l एलायस के लिए, “"टीम का हिस्सा होना . . . [यह साबित करने का एक तरीका था कि ये वादे पूरी तरह से खो नहीं गए हैं l”
इसी तरह का परिवर्तन हमारे हृद्यों में तब होता है जब हम यह समझने लगते हैं कि यीशु में परमेश्वर के प्रेम की खुशखबरी हमारे लिए भी अच्छी खबर है l हम आश्चर्य के साथ महसूस करना शुरू करते हैं, बहुत देर नहीं हुई है । परमेश्वर अभी भी मेरे लिए एक भविष्य रखा है l
और यह एक ऐसा भविष्य है जिसे न तो कमाया जा सकता है और न ही यह खो सकता है, केवल परमेश्वर के असाधारण अनुग्रह और सामर्थ्य पर अवलंबित है (2 पतरस: 1:2-3) l एक ऐसा भविष्य जहां हम संसार में निराशा से मुक्त हो गए हैं और हमारे हृद्यों में जो उसकी “महिमा और सद्गुण” से भरे हुए हैं (पद.3) l मसीह के अकल्पनीय वादों में सुरक्षित भविष्य (पद.4); और एक भविष्य जो “परमेश्वर की संतानों की महिमा” में बदल गया है (रोमियों 8:21) l

अनुग्रह द्वारा सामर्थी

अमेरिकी गृह युद्ध के दौरान, कर्तव्य छोड़कर भागने का दण्ड फांसी थी l लेकिन संघ की सेनाओं ने शायद ही कभी भागनेवालों को मृत्युदंड दिया, क्योंकि उनके कमांडर-इन-चीफ अब्राहम लिंकन ने उन सभी को माफ कर दिया था l इसने युद्ध के सचिव, एडविन स्टेनटन को व्यथित किया, जिनका यह मानना था कि लिंकन की उदारता भावी भागनेवालों को केवल प्रलोभित किया l लेकिन लिंकन ने उन सैनिकों के साथ सहानुभूति व्यक्त की, जिन्होंने अपनी साहस खो दी थी और जिन्होंने लड़ाई की ताप में अपने डर से हार मान लिया था l और उसकी सहानुभूति ने उसे उसके सैनिकों के लिए प्रिय बनाया l वे अपने “फादर अब्राहम” से प्यार करते थे, और उनके स्नेह ने सैनिकों को लिंकन की और अधिक सेवा करने की इच्छा दी l
जब पौलुस तीमुथियुस को “मसीह यीशु के एक अच्छे योद्धा के समान” उसके साथ “दुःख” उठाने के लिए बुलाता है (2 तीमुथियुस 2:3), तो वह उसे कठिन काम विवरण(job description) के लिए बुलाता है l एक सैनिक को पूरी तरह से समर्पित, कड़ी मेहनत करने वाला और निस्वार्थ होना चाहिए l उसे अपने कमान ऑफिसर, यीशु की सेवा पूरे हृदय से करना है l लेकिन वास्तव में, हम कभी-कभी उसके अच्छे सैनिक बनने में असफल होते हैं l हम हमेशा उसकी सेवा ईमानदारी से नहीं करते हैं l और इसलिए पौलुस का आरंभिक वाक्यांश महत्वपूर्ण है : “उस अनुग्रह से जो मसीह यीशु में है बलवंत हो जा” (पद.1) l हमारा उद्धारकर्ता अनुग्रह से भरा हुआ है l वह हमारी कमजोरियों में सहानुभूति रखता है और हमारी असफलताओं को क्षमा करता है (इब्रानियों 4:15) l और जिस तरह लिंकन की करुणा ने संघ के सैनिकों को प्रोत्साहित किया, उसी तरह यीशु के अनुग्रह से विश्वासियों को बल मिलता है l हम उसकी और अधिक सेवा करना चाहते हैं क्योंकि हम जानते हैं कि वह हमसे प्यार करता है l